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कार्बनिक रसायन
हाइड्रोकार्बन
- हाइड्रोकार्बन केवल कार्बन तथा हाइड्रोजन के यौगिक होते हैं। हाइड्रोकार्बन मुख्यतः कोल तथा पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं, जो ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं।
- शैल रसायन (Petrochemicals) अनेक महत्वपूर्ण व्यावसायिक उत्पादों के निर्माण के लिए मुख्य प्रारंभिक पदार्थ हैं।
- घरेलू ईंधन तथा स्वचालित वाहनों के प्रमुख ऊर्जा स्रोत द्रवित पेट्रोलियम गैस, एल.पी.जी. (Liquified Petroleum Gas) तथा संपीडित प्राकृतिक गैस, सी.एन.जी. (Compressed Natural Gas) हैं, जो पेट्रोलियम से प्राप्त किए जाते हैं। संरचना के आधार पर हाइड्रोकार्बन को विवृत्त श्रृंखला संतृप्त (ऐल्केन), असतृप्त (एल्कीन तथा एल्काइन), चक्रीय (ऐलिसाइक्लिक) तथा एरोमैटिक वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
- हाइड्रोकार्बन का उपयोग पॉलिथीन, पॉलिप्रोपेन, पॉलिस्टाइरीन आदि बहुलकों के निर्माण में किया जाता है। उच्च अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों का उपयोग पेन्ट में विलायक के रूप में और रंजक तथा औषधियों के निर्माण में प्रारंभिक पदार्थ के रूप में भी किया जाता है।
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन में कार्बन - कार्बन तथा कार्बन-हाइड्रोजन एकल आबंध होते हैं। यदि विभिन्न कार्बन परमाणु आपस में एकल आबंध से जुड़कर विवृत श्रृंखला बनाते हैं, तो उन्हें 'ऐल्केन' कहते हैं।
- यदि कार्बन परमाणु संवृत श्रृंखला या वलय का निर्माण करते हैं, तो उन्हें 'साइक्लोऐल्केन' कहा जाता है। असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों में कार्बन – कार्बन बहुआबंध जैसे द्विआबंध, त्रिआबंध या दोनों उपस्थित होते हैं।
ऐल्केन
- ऐल्केन कार्बन - कार्बन एकल आबंधयुक्त संतृप्त विवृत श्रृंखला वाले हाइड्रोकार्बन हैं। मीथेन (CH_4) इस परिवार का प्रथम सदस्य है। मीथेन एक गैस है, जो कोयले की खानों तथा दलदली क्षेत्रों में पाई जाती है।
- वह हाइड्रोकार्बन, जिसका अणुसूत्र C_2H_6 है, एथेन कहलाती है।
- ये हाइड्रोकार्बन सामान्य अवस्थाओं में निष्क्रिय होते हैं, क्योंकि ये अम्लों और अन्य अभिकर्मकों से अभिक्रिया नहीं करते। अतः प्रारंभ में इन्हें पैराफिन (Parum = कम, Affinis = क्रियाशील ) कहते थे।
गुणधर्म
- एल्केन अणुओं में C-C तथा C-H आबंध के सहसंयोजक गुण तथा कार्बन एवं हाइड्रोजन परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकता में बहुत कम अंतर के कारण लगभग सभी ऐल्केन अध्रुवीय होते हैं। इसके मध्य दुर्बल वान्डरवाल्स बल पाए जाते हैं। दुर्बल बलों के कारण ऐल्केन श्रेणी के प्रथम चार सदस्य C_1 से C_4 तक गैस C_5 से C_17 तक द्रव तथा C_18 या उससे अधिक कार्बन युक्त ऐल्केन 298K पर ठोस होते हैं। ये रंगहीन तथा गंधहीन होते हैं।
- 'अम्ल, क्षारक, ऑक्सीकारक (ऑक्सीकरण कर्मक) एवं अपचायक (अपचयन कर्मक) पदार्थों के प्रति ऐल्केन सामान्यतः निष्क्रिय होते हैं।
ऐल्कीन (Alkenes)
ऐलिफैटिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक कार्बन-कार्बन युग्म बन्ध, >C==C<, उपस्थित होता है, ओलिफिन (olefins) या ऐल्कीन (alkenes) कहलाते हैं। ऐल्कीनों का सामान्य सूत्र C_nH_2n है। एथिलीन (एथीन), C_2,H_4, सबसे सरल ऐल्कीन है।
एथिलीन (Ethylene)
एथिल एल्कोहॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के आधिक्य के साथ 170- 180°C ताप पर गर्म करने से एथिलीन बनती है।
- अभिक्रिया में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक का कार्य करता है।
- एथिलीन रंगहीन, मीठी गंध की जल में अल्प विलेय गैस है। इसे सूंघने से बेहोशी आ जाती है।
- एथिलीन का अणु भार 28 है। N. T. P. पर इसका घनत्व 1.25 ग्राम प्रति लीटर है।
- एथिलीन का क्वथनांक- 105°C है।
एथिलीन का उपयोग
- एथिलीन के उपयोग एथिलीन का उपयोग फलों को कृत्रिम विधि से पकाने में होता है।
- एथिलीन निश्चेतक (anaesthetic) के रूप में प्रयुक्त होती है।
- एथिलीन का उपयोग पॉलिथीन बनाने में होता है।
- एथिलीन मस्टर्ड गैस बनाने में प्रयुक्त होती है।
- मस्टर्ड गैस एक तेल जैसा द्रव है। इसमें सरसों जैसी गंध होती है।
इसकी वाष्प चमड़ी पर फफोले डाल देती है तथा फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों पर घातक प्रभाव डालती है। इस गैस का उपयोग युद्ध में किया जाता है।
ऐल्काइन (Alkynes)
*ऐलिफैटिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें एक कार्बन-कार्बन त्रिक बन्ध (-CC-) होता है, ऐल्काइन या ऐसीटिलीन (acetylenes) कहलाते हैं।
ऐल्काइन श्रेणी का सामान्य सूत्र (CnH2n-2) है।
इस श्रेणी का प्रथम सदस्य ऐसीटिलीन (एथाइन) है।
ऐसीटिलीन (Acetylene)
कैल्शियम कार्बाइड की जल से क्रिया कराने पर ऐसीटिलीन बनती है।
ऐसीटिलीन के गुण
- ऐसीटिलीन रंगहीन, गंधहीन, जल में अल्प विलेय गैस (b.p.-84°C) है। अशुद्ध ऐसीटिलीन से लहसुन जैसी गंध आती है।
- ऐसीटिलीन वायु से कुछ हल्की होती है।
- संपीडित एवं द्रवित ऐसीटिलीन भयंकर विस्फोटक है।
- ऐसीटिलीन और वायु या ऑक्सीजन के मिश्रण को प्रज्वलित करने पर अति प्रचंड विस्फोट होता है।
ऐसीटिलीन के उपयोग
- ऐसीटिलीन को वायु में जलाने पर बहुत चमकीला चौंधाने वाला प्रकाश उत्पन्न होता है। ऐसीटिलीन ज्वाला की प्रदीपन क्षमता (illuminating power) बहुत अधिक होने के कारण ऐसीटिलीन का उपयोग कार्बाइड लैम्पों में प्रदीपक गैसों के रूप में किया जाता है।
- ऐसीटिलीन को शुद्ध ऑक्सीजन में जलाने पर अति उच्च ताप उत्पन्न होता है। ऑक्सी-ऐसीटिलीन ज्वाला का ताप लगभग 3000°C होता है। इस गुण के कारण ऐसीटिलीन का उपयोग ऑक्सी-ऐसीटिलीन ब्लो- पाइप (oxy-acetylene torch) में धातुओं के वेल्डन (welding of metals) और उनके काटने में किया जाता है।
एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन
- एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन को ऐरीन भी कहते हैं, क्योंकि इनके अधिकांश यौगिकों में विशिष्ट गंध [ ग्रीक शब्द ऐरोमा (अर्थ- सुगंध ) से प्रेरित ] रहती है। एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन के कुछ उदाहरण हैं- बेंजीन, टॉलूईन, नैफ्थलीन इत्यादि ।
- बेंजीन - बेंजीन को सर्वप्रथम माइकल फैराडे ने वर्ष 1825 में प्राप्त किया। बेंजीन का अणुसूत्र C_6H_6 है जो उच्च असंतृप्तता दर्शाता है।
- जर्मन वैज्ञानिक फ्रेडरिक ऑगस्ट केकुले (Friedrich August Kekule) ने वर्ष 1825 में बेंजीन की एक संरचना दी, जिसमें 6 कार्बन परमाणुओं की चक्रीय व्यवस्था है। उनमें एकांतर क्रम में द्विआबंध है तथा प्रत्येक कार्बन से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा है।
- बेंजीन को व्यापारिक रूप से कोलतार से प्राप्त किया जाता है।
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